“दुःख एक आजीवन प्रक्रिया है, मौत भी”
ट्रिगर अलर्ट: ये पोस्ट मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या से सम्बंधित है
मानसिक स्वास्थ्य की बात वैसे भी इस देश में करना आसान नहीं जहाँ लोग आज भी ओझा/बाबा या किसी मंदिर दरगाह में पहले जाएंगे और किसी डॉक्टर के पास बाद में। अक्सर लोग मानसिक बीमारी का बस एक ही मतलब जानते हैं – पागल होना! और ये लेबल तो किसी को खुद पर या पाने प्रिय जन पर नहीं चाहिए।
मानसिक बीमारियों में डिप्रेशन/अवसाद और एंग्जायटी/व्यग्रता सबसे आम हैं, लेकिन इन दोनों और अन्य मानसिक रोगों के बारे में हमारे समाज में हज़ारों गलत अवधारणाएँ व्याप्त हैं। जिनमें से कुछ हैं:-
डिप्रेशन सच नहीं होता
डिप्रेशन उन्हें होता है जो कमज़ोर होते हैं
डिप्रेशन उतना ही सच है जितना कैंसर, और कई बार इसका कोई कारण नहीं होता
डिप्रेशन एक अदृश्य तकलीफ है
एंग्जायटी झूठ है
आत्महत्या की बात करने वाले बस तमाशा करते हैं
मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहा व्यक्ति ही ऐसे बर्ताव करता है, अक्सर खुद को नुक्सान पहुंचाने की बात करना मदद की गुहार होती है
मैं मानसिक स्वस्थ्य संबंधी प्राथमिक चिकित्सा देती हूँ और लॉक डाउन के दौरान मानो ऐसी तकलीफों की बाढ़ आ गयी, भारत में वैसे भी मानसिक स्वास्थ्यकर्मी कम हैं तो हम सब किसी-किसी दिन 20-20 घंटों तक कॉल, वीडियो और चैट पर बने रहे। ये हमारे अपने मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी कोई बेहद अच्छा वक़्त नहीं था। मैंने ट्विटर पर एक रिपोर्टेड आत्महत्याओं की लिस्ट बनानी शुरू की लेकिन ये आँकड़े बढ़ने लगे और भारत की कुछ मशहूर हस्तियों की आत्महत्या से मृत्यु की ख़बरों से मानो पूरा देश ही विचलित हो गया।
शोध से ये बार- बार साबित हो चुका है की सभी आत्महत्या का कारण मानसिक स्वास्थ्य की दिक्कत नहीं होती और हर बार ये सोचा समझा योजनबद्ध नहीं होताआत्महत्या एक पब्लिक हेल्थ का विषय है, ये psychosocial है इसके अनेक सामाजिक आयाम भी हैं, 1999-2016 तक 54% आत्महत्या से मृत व्यक्तियों को कोई मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होने की जानकारी नहीं हैं
2018 में भारत में आत्महत्या के मुख्य कारण
1. पारिवारिक समस्या 30.4%
2. बीमारी 17.7%
3. अंजान कारण 11%
4. विवाह संबंधी समस्या 6.2%
5. शराब या ड्रग्स 5.3%
6. प्रेम संबंध 4%
7. दिवालिया होना 3.7%
8. परीक्षा 2%
9. बेरोजगारी 2%
10. नौकरी/व्यवसाय 1.3%
11. प्रॉपर्टी 0.9%
12. गरीबी भुखमरी 0.9%
13. प्रिय जन की मृत्यु 0.8%
14. विवाहोत्तर संबंध 0.5%
15. बदनामी 0.4%
16. मर्दानगी संबंधी समस्याएं /औलाद न होना 0.2%
जैसा की स्पष्ट है अधिकतर समस्याएं सामाजिक हैं हमें आत्मविश्लेषण की ज़रूरत है कि हम कैसा समाज और कैसे परिवार हैं, फिल्हाल तो सबसे बड़े विलेन हम ही हैं!
किसी की आत्महत्या के बारे में बात करते हुए संवेदनशील रहें-
- आत्महत्या/खुदकुशी “की” नहीं बल्कि “आत्महत्या से मृत्यु हुई” लिखें
- अटकलें न लगाएं, क्यों, कैसे
- आत्महत्या के तरीके की बात न करें
- आत्महत्या कायरता नहीं हैं
- आत्महत्या बहादुरी भी नहीं है
- किसी के मानसिक स्वास्थ्य का diagnose सार्वजनिक करने या उस पर टिप्पणी करने से बचें
- ऐसी लापरवाह बातें दूसरे लोगों के तनाव को बढ़ा सकती हैं
लॉक डाउन मानसिक स्वास्थ्य के लिए मुश्किल समय है , 5 टिप्स जो मैं आज से करने वाली हूँ, शायद आपके भी काम आएं
— रोज़ 3-4 अलग परिचित लोगों को बस मैसेज कर के हाल चाल जान लें (अनजान लोगों और महिलाओं को ख़ास कर मैसेज कर परेशान न करें ) किसी को आवश्यकता हो तभी कॉल करें , उनकी सुविधा का भी ख्याल करें
– एक ग्रेटिटयूड (शुक्राना) की लिस्ट रोज़ बनाएं – 5 चीज़ें जिसके लिए आप उस दिन शुक्रगुज़ार हैं
– इस मुश्किल समय में भी जो आपके घर तक ज़रूरत का सामान या सेवा पहुंचा रहे हैं ( सफाई कर्मचारी, डिलीवरी स्टाफ, सिक्योरिटी गार्ड) उन्हें सोशल डिस्टैन्सिंग बनाये रखते हुए , 6 फ़ीट की दूरी से धन्यवाद कहें (मुँह से या हाथ जोड़ के) , उन्हें कोई मदद कर सकें तो करें
– थोड़ा समय बाहर,छत, बालकनी , दरवाज़े/गेट पर अवश्य बिताएं , पड़ोसी से दूर से गप्पें लड़ा सकते हैं
– वीडियो, सोशल मीडिया से परे ऑडियो किताबों , रेडियो , पॉडकास्ट , संगीत सुनने की कोशिश करें ( व्हाट्सप्प वाले चमत्कारी ऑडियो नहीं )
इस सीरीज़ की अन्य पोस्ट:-
एक पल में ये क्या हो गया #डायरी2020
औरत और माँ – मानसिक स्वास्थ्य के लिए वक़्त कहाँ?
अगली कड़ी– घर से काम, घर के काम ,15 अक्टूबर को यहीं, बुकमार्क,फॉलो कर लें
#डायरी2020
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पिगबैक: लॉक डाउन लाइफ #डायरी2020 | पार्श्व स्वर
पिगबैक: एक पल में ये क्या हो गया #डायरी2020 | पार्श्व स्वर
The post is so apt in today’s world. Stress is increasing and the suicide rate is boosting like never before:/
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yes mental health has become a global issue more so in the pandemic, thanks for reading
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पिगबैक: हम एक क्रूर समाज हैं क्या? #डायरी2020 #MyFriendAlexa | पार्श्व स्वर
बहुत बढ़िया लिखा आपने
समस्या खुद हैं हम यहां
कहते बीमारी सदा उसे
डिप्रेशन कहते हैं यहा।।
हम भी शिकार हुए इसके
टूटा हमारा प्यार वहां
आज बिखरे बिखरे भटके
चाहते हम मरे यहां।।
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