
उसने थामा हुआ है मेरा हाथ
चाय की ख़ुशबू भरे उस कमरे में
एक खिड़की से दिखता है अटलांटिक
और दूसरी ओर पोर्टो की एक व्यस्त हाट
रात को अक्सर
हम करते हैं पंजाबी में बात
वो बनाता है देसी रेसिपी
और मैं
नुसरत साहब के साथ गुनगुनाते हुए
लिखती हूँ ये कविता
कल लिस्बन में
एक पुराने बुकस्टोर में
अनुवाद पढ़ते हुए
एक श्रोता ने मांग की थी कि पाश सुनाऊँ
मैंने उसकी और मुस्कराकर
पढ़ी थी उसकी पसंद की कविता
और फ़िर हम लौट आये थे
अदरक चाय की धुंध भरे
इस ख्वाब में वापस
वो ख्वाबों का सौदागर है
मेरी आँखें अटलांटिक का पानी हैं
हम साथ हैं
यही खूबूसरत बात है