किसी का होना
बस होना भर ही
काफी होता है
हमें भरने के लिए
उस किसी का लौटना
सज़ा होता है
प्रवासी पक्षियों के डेरे
रहते हैं साल भर उदास
बसने और उजड़ने के
बीच कहीं
एक भूमध्य रेखा है
जो कांपती रहती है
उसके हाथ की नरमी से
पिघलने लगा था जो
दिल का उत्तरी ध्रुव
अब एक लुप्त ग्लेश्यिर है
वो जो चाहता है
मैं हो जाऊँ उसकी धूरी
नहीं जानता मैं एक
टूटा हुआ उल्कापिंड हूँ
beautiful! It feels like I must get back and rekindle my love for hindi poetry.
पसंद करेंपसंद करें
Thanks,yes why not !
पसंद करेंपसंद करें
शानदार ……
पसंद करेंपसंद करें
Dhanywaad aapka
पसंद करेंपसंद करें